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लहसुन की कीमतों में आए उछाल की क्या वजह है ?

लहसुन की कीमतों में आए उछाल की क्या वजह है ?

लहसुन की कीमतों में अचानक से काफी उछाल आया है। भुवनेश्वर की मंडी में तो कीमत 400 रुपये प्रति किलो ग्राम तक पहुंच गई थी। लहसुन की फसल बर्बाद होने से यह हो रहा है। इस माह भाव कम होने की संभावना है।

आम जनता को महंगाई की काफी मार सहन करनी पड़ रही है। समस्त चीजों में खूब महंगाई बढ़ी है और वहीं खाने की चीजों की बात की करें तो इसमें भी बेहद इजाफा हुआ है। घरों में जो सब्जियां तैयार की जाती हैं, उनमें स्वाद बढ़ाने के लिए लहसुन आवश्यक होता है। परंतु, वर्तमान में देखा जाए तो लहसुन की कीमतें भी आसमान को छू रहे हैं। लहसुन ₹400 किलो तक की कीमत तक पहुँच चुका है। 

आखिर किस वजह से लहसुन की कीमतें बढ़ रही हैं ?

बीते कुछ सप्ताह की बात करें तो लहसुन की कीमतों में प्रचंड तेजी से इजाफा हुआ है। भुवनेश्वर की मंडी में तो कीमत 400 रुपये प्रति किलो ग्राम तक पहुंच गए थी। दरअसल, लहसुन की कीमत बढ़ने के पीछे जो अहम वजह है। वह लहसुन की फसल का खराब होना है। विभिन्न राज्यों में बेकार मौसम की वजह से लहसुन की फसलें बर्बाद हुई हैं। इसके चलते कीमतों में काफी उछाल देखा गया है। फसल खराब होने के चलते दूसरी फसल की रोपाई में समय लगेगा। इस वजह से लहसुन की नई उपज की आवक में देरी है, जिसके चलते कीमतें बढ़ रही हैं। 

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मध्य प्रदेश में कीमतें कब कम होंगी ?

मध्य प्रदेश में लहसुन की सर्वाधिक खेती की जाती है। परंतु, मौसम की मार की वजह से फसल काफी प्रभावित हुई है, जिसकी वजह से नई फसल आने में काफी विलंब हो रहा है। जैसे ही बाजार में लहसुन की नई फसल आ जाती है। लहसुन की कीमतों में गिरावट आऐगी। मंडी व्यापारियों के मुताबिक, खरीफ लहसुन के आने के पश्चात कीमत अत्यंत कम हो जाऐगी। मतलब कि फरवरी के माह में लहसुन की कीमतों के कम होने की संभावना है। 

खुशखबरी : केंद्र सरकार ने गन्ना की कीमतों में किया इजाफा

खुशखबरी : केंद्र सरकार ने गन्ना की कीमतों में किया इजाफा

जानकारी के लिए बतादें कि उत्तर प्रदेश गन्ना की पैदावार के मामले में अव्वल नंबर का राज्य है। उत्तर प्रदेश के लाखों किसान गन्ने की खेती से जुड़े हुए हैं। फसल सीजन 2022- 23 में यहां पर 28.53 लाख हेक्टेयर में गन्ने की खेती की गई। गन्ने की खेती करने वाले कृषकों के लिए अच्छी खबर है। केंद्र सरकार ने द कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कास्ट्स एंड प्राइज की सिफारिश पर गन्ने की एफआरपी बढ़ाने के लिए मंजूरी दे दी है। इससे गन्ना उत्पादक किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई है। कहा जा रहा है, कि केंद्र सरकार के इस निर्णय से लाखों किसानों को लाभ पहुंचेगा। विशेष कर उत्तर प्रदेश एवं महाराष्ट्र के किसान सबसे अधिक फायदा होगा। 

केंद्र सरकार ने गन्ने की कीमत में 10 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि की

केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के पश्चात केंद्र सरकार ने गन्ने की एफआरपी में इजाफा करने का फैसला किया है। सरकार द्वारा एफआरपी में 10 रुपये की वृद्धि की है। फिलहाल, गन्ने की एफआरपी 305 रुपये से इजाफा होकर 315 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। विशेष बात यह है, कि अक्टूबर से नवीन शक्कर वर्ष आरंभ हो रहा है। ऐसी स्थिति में सरकार का यह निर्णय किसानों के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद साबित होगा। साथ ही, कुछ लोग केंद्र सरकार के इस निर्णय को राजनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है। लोगों का मानना है, कि अगले वर्ष लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे एफआरपी वृद्धि से उत्तर प्रदेश के साथ-साथ विभिन्न राज्यों के किसानों को प्रत्यक्ष तौर पर फायदा होगा। 

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महाराष्ट्र में किसानों ने कितने लाख हेक्टेयर भूमि पर गन्ने की बिजाई की

जैसा कि हम जानते हैं, कि उत्तर प्रदेश गन्ना उत्पादन के मामले में पहले नंबर का राज्य है। यहां पर लाखों किसान गन्ने की खेती से जुड़े हुए हैं। फसल सीजन 2022- 23 के दौरान UP में 28.53 लाख हेक्टेयर भूमि में गन्ने की खेती की गई। साथ ही, महाराष्ट्र में कृषकों ने 14.9 लाख हेक्टेयर में गन्ने की बिजाई की थी। वहीं, सम्पूर्ण भारत में गन्ने का क्षेत्रफल 62 लाख हेक्टेयर है। अब ऐसी स्थिति में यह कहा जा सकता है, कि भारत में गन्ने के कुल रकबे में उत्तर प्रदेश की भागीदारी 46 प्रतिशत है। 

चीनी का उत्पादन कितना घट गया है

उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों की संख्या 119 है और 50 लाख से ज्यादा किसान गन्ने की खेती करते हैं। इस साल उत्तर प्रदेश में 1102.49 लाख टन गन्ने का उत्पादन हुआ था। चीनी मिलों में 1,099.49 लाख टन गन्ने की पेराई की गई। इससे मिलों ने 105 लाख टन चीनी का उत्पादन किया। बतादें, कि उत्तर प्रदेश के शामली जिले में सबसे अधिक गन्ने की उपज होती है। इस जिले में औसत 962.12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गन्ने का उत्पादन होता है। इस वर्ष संपूर्ण भारत में चीनी का उत्पादन 35.76 मिलियन टन से कम होकर 32.8 मिलियन पर पहुंच चुका है।

इस वजह से लहसुन की कीमतों में आया जबरदस्त उछाल

इस वजह से लहसुन की कीमतों में आया जबरदस्त उछाल

आजकल सब्जी, मसाले और अनाजों की कीमतें सातवें आसमान पर हैं। विगत वर्ष लहसुन का अच्छा-खासा उत्पादन हुआ था। इसकी वजह से होलसेल मार्केट में इसकी काफी कीमत गिर गई। ऐसी स्थिति में किसान फसल पर किया गया खर्चा तक भी नहीं निकाल पाए। भारत में महंगाई बिल्कुल भी कम होने का नाम नहीं ले रही है। टमाटर की भाँति वर्तमान में भी लहसुन का भाव 170 रुपये किलो के पार ही है। बहुत सारे शहरों में तो इसकी कीमत 180 रुपये किलो के आसपास पहुंच चुकी है। पटना में अभी एक किलो लहसुन का भाव 172 रुपये है। साथ ही, कोलकता में यह 178 रुपये किलो बिक्रय किया रहा है। जबकि, तीन से चार महीने पहले यह बेहद सस्ता था। मार्च महीने तक रिटेल बाजार में यह 60 से 80 रुपये किलो बिक रहा था। परंतु, मानसून के दस्तक देने के साथ ही इसके दाम भी महंगे हो गए।

उत्तर प्रदेश इतने प्रतिशत लहसुन की पैदावार करता है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि मध्य प्रदेश के पश्चात राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा लहसुन की खेती होती है। ये तीनों राज्य मिलकर 85 प्रतिशत लहसुन का उत्पादन करते हैं। राजस्थान 16.81 प्रतिशत लहसुन का उत्पादन करता है, जबकि उत्तर प्रदेश की भागीदारी 6.57 फीसद है।

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मध्य प्रदेश भारत का सबसे बड़ा लहसुन उत्पादक राज्य है

लहसुन के व्यापारियों के मुताबिक, मध्य प्रदेश भारत का सबसे बड़ा लहसुन उत्पादक राज्य है। यहां का मौसम एवं मिट्टी लहसुन की खेती के लिए अनुकूल मानी जाती है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कुल उत्पादित लहसुन में मध्य प्रदेश की भागीदारी 62.85 प्रतिशत है। परंतु, पिछले साल समुचित भाव न मिलने की वजह से लहसुन उत्पादक किसानों को बेहद हानि का सामना करना पड़ा। बहुत सारे किसान कर्ज में डूब गए है। ऐसी स्थिति में किसानों ने इस वर्ष लहसुन की खेती करना कम किया, जिससे तकरीबन 50 प्रतिशत लहसुन का रकबा कम हो गया। ऐसी स्थिति में मांग के हिसाब से बाजार में लहसुन की आपूर्ति नहीं हो पाई। इसकी वजह से अचानक कीमतें बढ़ गईं।

मध्य प्रदेश अन्य राज्यों में भी लहसुन की आपूर्ति करता है

बतादें कि संपूर्ण भारत में मध्य प्रदेश से लहसुन की सप्लाई होती है। यहां से दक्षिण भारत, दिल्ली और महाराष्ट्र समेत विभिन्न राज्यों में लहसुन की सप्लाई की जाती है। नतीजतन, मध्य प्रदेश की मंडियों में लहुसन महंगे होने की वजह से दूसरे राज्यों में भी इसकी कीमतें बढ़ गईं। साथ ही, रतलाम जनपद के लहसुन उत्पादकों का कहना है, कि किसानों ने विगत वर्ष हुई हानि की वजह से लहसुन की खेती आधी कर दी थी। परंतु, इस बार की कीमतों को ध्यान में रखते हुए पुनः रकबे में इजाफा करेंगे। ऐसे में आशा है, कि लहसुन की नवीन फसल आने के बाद कीमतों गिरावट शुरू हो जाएगी।
प्याज और टमाटर की मांग व आपूर्ति में असमान अंतराल होने से कीमतें सातवें आसमान पर पहुँची

प्याज और टमाटर की मांग व आपूर्ति में असमान अंतराल होने से कीमतें सातवें आसमान पर पहुँची

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि क्रिसिल की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, कि डिमांड और सप्लाई में अंतराल आने से प्याज की कीमतों में ये इजाफा होगा। हालांकि, इसके बावजूद भी प्याज का भाव 2020 के अपने उच्चतम स्तर से नीचे रहेगा। टमाटर के पश्चात अब प्याज आम जनता की आखों से आंसू निकालेगा। कहा जा रहा है, कि प्याज के भाव में काफी ज्यादा बढ़ोत्तरी हो सकती है। एक किलो प्याज का भाव 60 रुपये के पार पहुंच सकता है। क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है, कि टमाटर के उपरांत वर्तमान में प्याज की कीमतें आम जनता का बजट खराब कर सकती हैं। अगले महीने से खुदरा बाजारों में प्याज महंगा हो जाएगा।

प्याज और टमाटर की मांग व आपूर्ति में काफी अंतर

रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर माह में प्याज की कीमतों के बढ़ने की संभावना है। टमाटर की भाँति प्याज की आवक भी काफी प्रभावित हो सकती है। ऐसी स्थिति में मांग के अनुसार, आपूर्ति न होने की वजह से कीमतें अपने-आप बढ़ जाऐंगी। रिपोर्ट में यह दावा किया गया है, कि अगस्त के अंतिम हफ्ते तक रिटेल मार्केट में प्याज की बढ़ती कीमतों का प्रभाव दिखना शुरू हो जाएगा। साथ ही, सितंबर के आते-आते एक किलो प्याज का भाव 60 से 70 रुपये हो जाएगा।

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प्याज की आपूर्ति प्रभावित होने से बढ़ जाएगी कीमत

साथ ही, क्रिसिल की रिपोर्ट में ये भी बताया गया है, कि डिमांड और सप्लाई में अंतराल आने से प्याज की कीमतों में यह इजाफा होगा। हालांकि, इसके बावजूद भी प्याज का भाव 2020 के अपने उच्चतम स्तर से नीचे रहेगा। क्रिसिल की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है, कि अक्टूबर में खरीफ की आवक आरंभ होने से प्याज की आपूर्ति पर काफी प्रभाव पड़ेगा। इससे मंडियों में प्याज की आपूर्ति कम हो जाएगी। इसकी वजह से भावों में स्थिरता नहीं रहेगी।

प्याज व की बढ़ती कीमतों ने बढ़ाई आम जनता की परेशानी

बतादें, कि इस वर्ष मानसून की दस्तक के साथ खान-पान की समस्त चीजें महंगी हो गई हैं। विशेष कर टमाटर के भाव काफी ज्यादा बढ़ गए हैं। 30 से 40 रुपये किलो मिलने वाला टमाटर जुलाई के प्रथम सप्ताह में ही 150 से 200 रुपये किलो हो गया। इसके अतिरिक्त हरी सब्जियां भी काफी महंगी हो गईं। वर्तमान में खुदरा बाजार में परवल, करेला, शिमला मिर्च, लौकी और भिंडी सहित विभिन्न प्रकार की हरी सब्जियों की कीमत सातवें आसमान पर पहुँच गई हैं। ये समस्त सब्जियां 50 से 80 रुपये किलो बिक रही हैं। परंतु, इस महंगाई के बावजूद भी अब तक प्याज सस्ता था। बाजार में अच्छी क्वालिटी का प्याज 25 से 30 रुपये किलो बिक रहा है। परंतु, आगामी माह सितंबर से इसकी कीमतों में आने वाले इजाफे ने आम जनता की परेशानी काफी बढ़ा दी है।
खुशखबरी: देश की राजधानी दिल्ली में अब प्याज की महंगाई नहीं निकालेगी आंशू

खुशखबरी: देश की राजधानी दिल्ली में अब प्याज की महंगाई नहीं निकालेगी आंशू

देश की राजधानी दिल्ली में टमाटर की बढ़ती कीमतों ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए थे। इसके उपरांत एक के बाद एक सब्जियों की बढ़ती कीमतों से लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। परंतु, वहीं जनता के लिए खुशखबरी की यह बात है कि NCCF बफर प्याज की खुदरा बिक्री चालू करेंगे। बतादें, कि विगत दिनों धनिया, प्याज, अदरक और टमाटर आदि सभी सब्जियों की कीमतों में हुई बढ़ोत्तरी से जनता की जेब पर बेहद प्रभाव पड़ा है। ग्रहणियों का कहना है, कि मंहगाई के कारण से रसोई का बजट डगमगा गया था, इससे सही सलामत देशवासियों का जीना दुश्वार हो गया। साथ ही, आज से दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ सस्ती दरों पर प्याज बेचना शुरु करेगा। प्याज की कीमतों में निरंतर वृद्धि के मध्य सरकारी बफर स्टॉक से खुदरा प्याज की बिक्री 25 रुपये प्रति किलो के भाव पर शुरू होगी। जहां एक ओर टमाटर की महंगाई से जनता दीर्घकाल से परेशान थी। वहीं, फिलहाल टमाटर के भावों में गिरावट देखने को मिली है। परंतु, प्याज की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है। इस वजह से जनता को महंगाई से थोड़ी सहूलियत प्रदान करने के लिए सरकार आज मतलब 21 अगस्त से सस्ती कीमतों पर प्याज बेचने की कवायद आरंभ कर रही है। ये भी देखें: सब्जियों के साथ-साथ मसालों के बढ़ते दामों से लोगों की रसोई का बिगड़ा बजट उपभोक्ता विभाग के मुताबिक, दिल्ली में हाल ही में एक किलो प्याज 37 रुपये में बिक्रय किया गया। भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (NCCF) पहले से ही केंद्र सरकार की तरफ से कम भाव पर टमाटर बेच रहा है। साथ ही, अब उसे खुदरा बफर प्याज का कार्यभार भी सौंपा गया है। NCCF के प्रबंध निदेशक एनीस जोसेफ चंद्रा का कहना है, कि "शुरुआत में, हम दिल्ली में बफर प्याज की खुदरा बिक्री चालू करेंगे। हम अपने मोबाइल वैन और दो खुदरा दुकानों के जरिए से 25 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर बेचेंगे।" दिल्ली में 21 अगस्त को तकरीबन 10 मोबाइल वैन भेजी जाएंगी। साथ ही, आहिस्ते-आहिस्ते इसका दायरा और अधिक बढ़ाया जाएगा। इसके अतिरिक्त NCCF दिल्ली में नेहरू प्लेस एवं ओखला में मौजूद अपने दो खुदरा दुकानों के माध्यम से भी प्याज बेचेगा। NCCF ने ONDC प्लेटफॉर्म के जरिए ऑनलाइन प्याज बेचने की भी योजना तैयार की है। परंतु, फिलहाल इसको जारी नहीं किया गया है। सरकार ने असम, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश को वर्तमान में प्राथमिकता दी है। दरअसल, इन पांच प्रदेशों में थोक एवं खुदरा दोनों बाजारों में बफर प्याज का निपटान करके उपलब्धता को बढ़ाया जा रहा है। दिल्ली में यह बिक्री 21 अगस्त से चालू हो जाएगी, जबकि बाकी 4 राज्यों में 2 दिन पश्चात बिक्री शुरू होगी। ये भी देखें: जानें टमाटर की कीमतों में क्यों और कितनी बढ़ोत्तरी हुई है NCCF विगत एक माह से राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में रियायती भाव पर टमाटर विक्रय कर रहा है। आरंभ में जब खुदरा बाजार में भाव ₹250 प्रति किलो तक पहुंच गया तो इसकी बिक्री ₹90 प्रति किलो पर चालू हुई। अब आवक में काफी सकारात्मक सुधार आया है, तो अनुदानित दर घटाकर 40 रुपये प्रति किलो निर्धारित कर दी गई है।
प्याज का भाव 70 रुपये किलो के पार, इस पर लगाम लगाएगी सरकार

प्याज का भाव 70 रुपये किलो के पार, इस पर लगाम लगाएगी सरकार

दिल्ली में प्याज का खुदरा भाव 25-50 फीसद तक बढ़ गया हैं। वर्तमान समय में गुणवत्ता के आधार पर 50-70 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिक रहा है। वहीं, दिवाली के चलते कीमतों में गिरावट दर्ज की जा सकती है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्याज का खुदरा मूल्य 25-50 प्रतिशत तक बढ़ गया हैं। वर्तमान समय में गुणवत्ता के आधार पर 50-70 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिक रहा है। यहां तक कि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की सहायक कंपनी मदर डेयरी ने भी अपनी खुदरा दुकानों पर मूल्य बढ़ा दिया है। साथ ही, प्याज के भाव में बढ़ोतरी भारत सरकार विशेष रूप से दिवाली के दौरान कीमतों पर नियंत्रण करने के लिए तैयार है। अधिकारियों का मानना है, कि बाजारों में खरीफ फसल की आवक के साथ प्याज की कीमतें कम होने की आशा है। वहीं, भारत सरकार के पास वर्तमान समय में प्याज का 5.07 लाख टन बफर भंडारण है। उपभोक्ता मामले मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा, प्याज के बफर स्टॉक को और बढ़ाने के लिए सरकार 2 लाख टन और प्याज खरीद रही है। अब ऐसे में कुल बफर स्टॉक तकरीबन 7 लाख टन हो जाएगा।

सरकार बफर स्टॉक से थोक बाजारों में 1.74 लाख टन प्याज बाजार में उतार चुकी है

सचिव का कहना है, कि प्याज का भाव कम करने के लिए पूर्व में ही बफर स्टॉक से थोक बाजारों में तकरीबन 1.74 लाख टन उतारा जा चुका है। वहीं, इस प्याज को मोटे तौर पर भारत के 16 राज्यों में किया गया है, जिनमें आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु, पंजाब, उत्तर प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक और तेलंगाना शामिल हैं।

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दिवाली के समय प्याज के भाव नियंत्रण में रखेगी सरकार

साथ ही, सरकार नवंबर में दिवाली सीजन के दौरान थोक एवं खुदरा बाजारों में अधिक बफर स्टॉक बाजारों में उपलब्ध करा देगी, जिससे मांग बढ़ने पर भी कीमतों में किसी भी प्रकार के इजाफे को रोका जा सकेगा।

खरीफ प्याज की आवक में विलंभ हुआ है

इसी कड़ी में उन्होंने आगे बताया कि बाजारों में खरीफ फसलों की आवक के साथ प्याज की कीमतें कम होने की आशा है। साथ ही, नवंबर के समापन तक कीमतों में भारी कमी आने की संभावना है। भारत के कुछ इलाकों में अनियमित वर्षा की वजह से इस वर्ष खरीफ प्याज की फसल में विलंभ हुआ है। भारत के 228 केंद्रों में प्याज का खुदरा भाव 36.37 रुपये प्रति किलोग्राम से कम बताया गया। प्याज का खुदरा भाव भारत के 274 केंद्रों में 36.37-50 रुपये प्रति किलोग्राम एवं भारत के 43 केंद्रों में 50 रुपये से ज्यादा था। उत्तर-पूर्वी राज्यों जैसे कि नागालैंड और मिजोरम में कीमतों में सर्वाधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
जानें टमाटर की कीमतों में क्यों और कितनी बढ़ोत्तरी हुई है

जानें टमाटर की कीमतों में क्यों और कितनी बढ़ोत्तरी हुई है

टमाटर के भाव में अच्छा-खासा इजाफा हुआ है। टमाटर के एक थोक विक्रेता ने बताया है, कि बारिश एवं ओलावृष्टि की वजह से टमाटर की लगभग 50% प्रतिशत फसल चौपट हो गई। इससे आकस्मिक तौर पर बाजार में टमाटर की अवक में गिरावट आ गई, जिससे कीमतों में इजाफा होने लगा है। महाराष्ट्र राज्य में टमाटर की कीमतों में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। विगत एक सप्ताह के भीतर कीमत में 100% फीसद का इजाफा हुआ है। इससे आम जनता की रसोई का बजट प्रभावित हो गया है। परंतु, टमाटर की खेती करने वाले उत्पादकों के चेहरे पर मुस्कराहट आई है। कृषकों को यह आशा है, कि यदि इसी प्रकार से टमाटर के भावों में इजाफा होता रहा, तो वह थोड़ी-बहुत हानि की भरपाई कर सकते हैं। विगत माह महाराष्ट्र के टमाटर उत्पादक भाव में कमी आने के चलते लागत तक भी नहीं निकाल पा रहे थे। मंडियों के व्यापारी उनसे 2 से 3 रुपये किलो टमाटर खरीद रहे थे। परंतु, फिलहाल उनको टमाटर का अच्छा-खासा भाव अर्जित हो रहा है।

टमाटर की कीमत 30 से 60 रूपए प्रतिकिलो हो चुकी है

मीडिया एजेंसियों के अनुसार, महाराष्ट्र में टमाटर का खुदरा भाव 30 रुपये से बढ़ कर 50 से 60 रुपये प्रति किलो हो चुका है। अंधेरी, नवी मुंबई, मंबुई एवं ठाणे समेत विभिन्न शहरों में रिटेल बाजार में टमाटर 50 से 60 रुपये प्रति किलो के हिसाब से विक्रय किए जा रहे हैं। साथ ही, एपीएमसी वाशी के निदेशक संजय पिंगले ने बताया है, कि टमाटर की आवक में गिरावट आने के चलते भाव में इजाफा हुआ है।  कुछ महीने पहले मांग के मुकाबले टमाटर का उत्पादन काफी अधिक था। इस वजह से टमाटर का भाव धड़ाम से गिर गया था। तब खुदरा बाजार में टमाटर 20 से 30 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचे जा रहे थे। संजय पिंगले के अनुसार, जब टमाटर की आवक बढ़ेगी तब ही कीमतों में सुधार हो सकता है। हालांकि, अभी कुछ दिनों तक टमाटर की कीमत यथावत ही रहेगी। यह भी पढ़ें: भारत में लाल टमाटर के साथ-साथ काले टमाटर की भी खेती शुरू हो चुकी है

थोक व्यापारी इतने रुपए किलो टमाटर खरीद रहे हैं

वाशी के थोक व्यापारी मंगल गुप्ता ने बताया है, कि वर्षा और ओलावृष्टि की वजह से टमाटर की लगभग 50 प्रतिशत फसल चौपट हो चुकी है। इसकी वजह से अचानक बाजार में टमाटर की आवक में गिरावट आई है। नतीजतन भाव बढ़ने लगा। फिलहाल, थोक व्यापारी 16 से 22 रुपए किलो टमाटर खरीद रहे हैं। यही वजह है, जो इसका खुदरा भाव 60 रुपए किलो पर पहुँच गया है। मंगल गुप्ता के मुताबिक, मौसम अगर ठीक रहा तो कुछ ही हफ्तों के अंदर कीमत में गिरावट आ सकती है।

इन जगहों पर टमाटर की कीमतें हुई महंगी

साथ ही, पुणे के एक व्यवसायी ने बताया है, कि पहले रिटेल बाजार में टमाटर का भाव 10 से 20 रुपये प्रति किलो था। परंतु, दो माह के अंदर ही टमाटर कई गुना महंगा हो गया। बतादें, कि टमाटर की कीमतें राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली व महाराष्ट्र के साथ-साथ गाजियाबाद एवं नोएडा में भी बढ़ी हैं। जो टमाटर यहां पर एक सप्ताह पूर्व 15 से 20 रुपये प्रति किलो बिक रहा था। वर्तमान में उसकी कीमत 30 रुपये प्रति किलो पर पहुँच गई है।
टमाटर की कीमतों में आखिर क्यों लगी आग, सेब और आम की कीमत में बिक रहा टमाटर

टमाटर की कीमतों में आखिर क्यों लगी आग, सेब और आम की कीमत में बिक रहा टमाटर

अगर हम आज से कुछ माह पहले की स्थिति देखें तो, अप्रैल और मई में टमाटर कौड़ियों के भाव बिक रहे थे। यहां तक कि टमाटर का भाव 3 से 5 रुपए प्रति किलो हो गया था। लेकिन अब टमाटर की कीमतों में 500 % प्रतिशत तक का उछाल आया है। बतादें, कि कुछ दिन पहले 10 से 20 रुपए प्रतिकिलो बिकने वाला टमाटर अब लंगड़ा, जर्दालु एवं दशहरी जैसे आमों से भी महंगा हो चुका है। टमाटर की कीमतें इतनी ज्यादा हो चुकी हैं, कि लोग टमाटर के एवज में सेब और आम का सेवन करना अधिक पसंद कर रहे हैं। दरअसल, टमाटर की कीमत अकेले दिल्ली में ही नहीं बढ़ी है। इसकी कीमत में बढ़ोत्तरी हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश और बिहार सहित भारत के समस्त राज्यों में हुई है। फिलहाल, एक किलो टमाटर खरीदने के लिए लोगों को 100 से 120 रुपए का खर्चा करना पड़ रहा है। आइए इस लेख में हम जानते हैं, कि किस वजह से टमाटर का भाव इतना ज्यादा हुआ है।

किसानों को विवश होकर 2 रुपए किलो भी बेचने पड़े थे टमाटर

अप्रैल एवं मई माह के दौरान टमाटर कौड़ियों के भाव में बिक रहा था। थोक बाजार में इसका भाव 3 से 5 रुपये किलो पहुंच गया था। इसके चलते महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में किसान खर्चा तक भी नहीं निकाल पा रहे थे। इन राज्यों में किसान 2 रुपये किलो के हिसाब से टमाटर बेचने को विवश हो गए थे। अब ऐसी स्थिति में दुखी किसानों ने टमाटर को सब्जी मंडी के बाहर ही सड़कों पर फेंक दिया था। परंतु, मानसून की दस्तक के आते ही टमाटर के भाव अचानक सातवें आसमान पर पहुंच गए।

टमाटर की कीमत कितने दिन ज्यों की त्यों रहेंगी

मंडी के व्यापारियों ने बताया है, कि विगत कुछ दिनों से दिल्ली-एनसीआर में टमाटर की आवक में काफी ज्यादा गिरावट हुई है। इससे थोक बाजार में ही टमाटर महंगा हो गया। अब दुकानदार ही हॉलसेल में 70 से 80 रुपये किलो टमाटर खरीद रहे हैं। साथ ही, जानकारों का कहना है, कि अगले महीने तक टमाटर की कीमतें ऐसी ही रहेंगी। ये भी देखें: भारत में लाल टमाटर के साथ-साथ काले टमाटर की भी खेती शुरू हो चुकी है

बारिश ने किया टमाटर की फसल को चौपट

गाजीपुर सब्जी मंडी के व्यापारी एवं मंडी अध्यक्ष सत्यदेव प्रसाद का कहना है, कि दिल्ली-एनसीआर में टमाटर समेत समस्त सब्जियों की कीमतें महंगी रहेंगी। टमाटर की बढ़ती कीमतों की मुख्य वजह बारिश है। क्योंकि दिल्ली-एनसीआर समेत विभिन्न राज्यों में टमाटर की फसल बर्बाद हो चुकी है। उन्होंने कहा है, कि दिल्ली के बाजार में राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा से टमाटर की आपूर्ति होती है। परंतु, अत्यधिक वर्षा होने से खेतों में जलभराव की स्थिति हो गई। जिसकी वजह से टमाटर की पत्तियां सड़ गईं। साथ ही, खेत में कीचड़ होने के कारण किसान बचे हुए टमाटर भी नहीं तोड़ पा रहे हैं। इससे टमाटर का उत्पादन प्रभावित हुआ है। इससे दिल्ली- एनसीआर में आपूर्ति प्रभावित होने से टमाटर काफी महंगे हो गए हैं।

फिलहाल टमाटर की आवक इन राज्यों से हो रही है

सत्यदेव प्रसाद के कहने के मुताबिक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बहुत सारे किसानों ने वर्षा होने पर धान की रोपाई करने के लिए टमाटर की फसल को खेत से हटा रहे हैं। इससे भी बाजार में टमाटर की कीमत बढ़ गई है। साथ ही, गाजीपुर सब्जी मंडी के सचिव मनोज कुमार ने बताया है कि अभी दिल्ली और आसपास के बाजारों में टमाटर महाराष्ट्र, बेंगलूरु, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर से पहुँच रहे हैं। वहां से लाने में सर्वाधिक खर्चा परिवहन पर हो रहा है। उन्होंने कहा है, कि दो सप्ताह पूर्व तक 50 किलो के टमाटर का क्रेट 50 से 100 रुपये में मिला करता था। अब थोक बाजार में इसकी भाव 40 से 50 रुपये प्रति किलो तक पहुँच चुका है।

टमाटर की कीमत में इस वजह से हुआ इजाफा

मनोज कुमार का कहना है, कि गाजीपुर मंडी में पहले प्रतिदिन 20 से 30 ट्रक टमाटर की आवक होती थी। परंतु, अब 10 से 11 ट्रक ही टमाटर की मंडियों में आवक हो रही है। यही कारण है, कि आपूर्ति एवं मांग में काफी ज्यादा अंतराल आने से कीमतें बढ़ गई हैं। साथ ही, बहुत सारे लोगों का कहना है, कि समुचित भाव नहीं मिलने के कारण इस बार किसानों ने टमाटर के उत्पादन रकबे को कम कर दिया है। इसके स्थान पर किसानों ने बींस की खेती की। इस वजह से भी टमाटर के भाव में इजाफा हुआ है।
टमाटर ने इन 2 किसानों का कराया लाखों का फायदा

टमाटर ने इन 2 किसानों का कराया लाखों का फायदा

टमाटर की बढ़ती कीमतों का बहुत सारे किसानों को किसी तरह का लाभ नहीं मिल पा रहा तो वहीं कर्नाटक के किसान टमाटर बेचकर लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं। भारत में महंगाई चरम सीमा पर है। विशेष रूप से टमाटर की बात की जाए तो इसकी कीमतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। सरकारी आंकड़ों की बात की जाए तो जून में खुदरा मंहगाई दर 4.81 प्रतिशत रही। महंगाई बढ़ने की एक वजह टमाटर भी है। आम जनता के किचन से टमाटर लापता हो चुका है। हर तरफ खबरें आ रही है, कि किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। लेकिन आज आपको कुछ ऐसे किसानों के संबंध में बताऐंगे जो कि टमाटर बेचकर लखपति बन चुके हैं। इन किसान परिवारों ने टमाटर बेचकर 1000, 2000 नहीं बल्कि पूरे 38 लाख रुपए कमा लिए हैं। अब आप यह सोच रहे होंगे कि ये सब कैसे हुआ है। आइए आपको बताते हैं इन किसानों की पूरी कहानी।

किसान को कैसे मिली 38 लाख की रकम

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, विगत एक माह में
टमाटर की कीमतों में 326 प्रतिशत का उछाल देखा गया है। इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक खबर के अनुसार, कर्नाटक के एक किसान परिवार ने टमाटर बेचकर पूरे 38 लाख रुपए की बड़ी रकम कमा डाली। दरअसल, इस किसान परिवार ने टमाटर के 2000 बॉक्स बेचे, जिससे उन्हें पूरे 38 लाख रुपए मिले हैं।

इन किसानों की लाखों में हुई आय

कर्नाटक के इस किसान के अतिरिक्त एक ओर किसान जिनका नाम वेंकटरमण है। चिंतामणि तालुका के इस किसान ने टमाटर के एक बॉक्स को 2200 रुपए में बेचा है। कोलार के मंडी में जब वो टमाटर बेचने गए तो उनके पास समकुल 54 बॉक्स थे। एक बॉक्स के अंदर 15 किलो टमाटर होता है। इस प्रकार से 54 में 26 बक्सों को 2200 रुपए प्रति बॉक्स के हिसाब से बेचा। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि बाकी बक्सों के लिए उन्हें 1800 रुपए की ही कीमत मिली।इस तरह 54 बक्सों को बेचकर उन्हें 17 लाख से ज्यादा की रकम मिली। ये भी पढ़े: इन राज्यों में 200 रुपए किलो के टमाटर को राज्य सरकार की मदद से 60 रुपए किलो में बेचा जा रहा है

इस मंडी से किसान बने लखपति

उपर जिन दो किसानों की कहानी बताई गई है। ये दोनों कर्नाटक के कोलार मंडी में टमाटर बेचकर लखपति बन रहे है। दरअसल, कोलार मंडी में टमाटर की कीमतें सातवें आसमान पर पहुँच गई है। यहां 15 किलो के डब्बे की कीमत 1900 रुपए से 2200 रुपए तक पहुँच गया है। बतादें, कि इससे किसानों की अच्छी-खासी आमदनी हो रही है।
सरकार अब 70 रुपए किलो बेचेगी टमाटर 

सरकार अब 70 रुपए किलो बेचेगी टमाटर 

भारत की राजधानी दिल्ली समेत विभिन्न राज्यों में टमाटर का भाव 200 रुपये से 250 रुपये किलो तक पहुँच गया है। साथ ही, चंडीगढ़ में लोगों को एक किलो टमाटर खरीदने के लिए 300 रुपये से भी ज्यादा खर्च करने पड़ रहे हैं। भारत में महंगाई के चलते आम से लेकर खास लोगों तक की रसोई का बजट बिगड़ गया है। बतादें कि करैला, धनिया, हरी मिर्च, शिमला मिर्च, भिंडी और लौकी समेत समस्त प्रकार की हरी सब्जियां महंगी हो गई हैं। परंतु, सबसे अधिक टमाटर की कीमत में आग लगी हुई है। महंगाई का कहर इतना है, कि टमाटर का भाव 250 रुपये किलो से भी ऊपर चला गया है। दिल्ली- एनसीआर सहित विभिन्न राज्यों में टमाटर की कीमत 200 रुपये से 250 रुपये किलो पर पहुँच चुकी है। साथ ही, चंडीगढ़ में लोगों को एक किलो टमाटर खरीदने के लिए 300 रुपये से भी ज्यादा रुपये का खर्चा करना पड़ रहा है। यहां पर टमाटर 350 रुपये किलो तक बिक रहा है।

अब से 70 रूपए किलो बिकेगा टमाटर

हालांकि, महंगाई पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार के समेत राज्य सरकारें भी पूरा प्रयास कर रही हैं। लेकिन कीमतों में गिरावट आने की कोई आशा नजर नहीं दिखाई दे रही है। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार की एजेंसी नाफेड ने खुद ही दिल्ली, नोएडा और लखनऊ समेत भारत की बहुत सारे शहरों में 80 रुपये किलो टमाटर बेचना चालू कर दिया है। परंतु, वर्तमान में लोग 80 रुपये किलो से भी कम भाव पर सरकारी स्टॉल से टमाटर खरीद सकेंगे। नाफेड ने घोषणा की है, कि वह 20 जुलाई से 70 रुपये किलो के रेट से टमाटर बेचेगा। जिससे कि महंगाई पर रोकथाम लगाई जा सके। ये भी पढ़े: केंद्र सरकार दिलाएगी महंगाई से निजात देश की राजधानी समेत इन शहरों में 90 रुपए किलो बिकेगा टमाटर

टमाटर के बढ़ते भाव पर लगेगी रोक

जानकारों का कहना है, कि केंद्र सरकार ने यह ऐलान टमाटर के भाव में आ रही कमी के ट्रेंड को देखते हुए किया है। गुरुवार से भारत के विभिन्न शहरों में नाफेड 70 रुपये किलो तक टमाटर बेचेगा। मुख्य बात यह है, कि सस्ती दर पर टमाटर बिक्री के लिए केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश से टमाटर की खरीदारी करेगा। सरकार का मानना है कि ऐसा करने से उत्तर भारत के राज्यों में टमाटर की बढ़ती कीमतों पर ब्रेक लगेगा।

नाफेड अब 70 रुपये किलो बेचेगा टमाटर

बता दें कि केंद्र सरकार की एजेंसी नाफेड ने पहले दिल्ली-एनसीआर में विभिन्न स्थानों पर मोबाइल वैन के माध्यम से 90 रुपये किलो टमाटर बेचना चालू किया था। इसके पश्चात 16 जुलाई को नाफेड ने 10 रुपये किलो टमाटर सस्ता कर दिया और 80 रुपये किलो बेकना शुरू कर दिया। फिलहाल, नाफेड लखनऊ और पटना में विभिन्न स्थानों पर 80 रुपये किलो टमाटर बेक रहा है। नाफेड कल से 70 रुपये किलो टमाटर बेचेगा।
टमाटर उत्पादक किसान ने महज कुछ दिनों में ही करोड़ों की आमदनी कर डाली

टमाटर उत्पादक किसान ने महज कुछ दिनों में ही करोड़ों की आमदनी कर डाली

आज हम आपको टमाटर उत्पादक किसान मुरली के बारे में बताने जा रहे हैं। जिनको पिछले साल टमाटर की खेती में भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था। उनके ऊपर तकरीबन 1.5 करोड़ रुपये के कर्ज का भार हो गया था। परंतु, इस साल उन्होंने टमाटर बेचकर सारा कर्ज चुका दिया। साथ ही उन्हें 2 करोड़ रुपये का मुनाफा भी अर्जित हो गया। आज कल महंगाई से आम जनता तो परेशान है ही, साथ ही हरी सब्जियों का उत्पादन करने वाले किसानों की लॉटरी लग गई है। कई किसान हरी सब्जी बेचकर धनवान हो गए हैं। मुख्य बात यह है कि टमाटर उत्पादक किसानों कीआमदनी इस महंगाई में कई गुनी बढ़ गई है। भारत में कई किसान टमाटर बेचकर करोड़पति बन गए हैं। बतादें कि 48 वर्षीय किसान मुरली इन्हीं किसानों में से एक हैं। मुरली ने महज कुछ ही दिनों में टमाटर बेचकर 4 करोड़ रुपये की कमाई कर डाली है। इससे मुरली पूरे भारत में काफी चर्चित हो गए हैं।

टमाटर उत्पादक किसान मुरली चित्तूर जनपद के निवासी हैं

जानकारी के अनुसार, किसान मुरली आंध्र प्रदेश के चित्तूर जनपद के निवासी हैं। वे काफी समय से अपने गांव में टमाटर की खेती कर रहे हैं। परंतु, इससे पूर्व उन्हें इतना मुनाफा कभी नहीं मिला। पिछले साल तो भाव में कमी आने से उन्हें 1.5 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। उन्होंने साहूकार से कर्ज लेकर खेती की थी। ऐसी स्थिति में वे 1.5 करोड़ रुपये के कर्जदार भी हो गए थे। परंतु, इस वर्ष वे टमाटर बेचकर धनवान हो गए हैं। कीमत ज्यादा होने की वजह से महज कुछ दिनों में वे टमाटर बेचकर 4 करोड़ रुपये की आय कर चुके हैं।

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मुंबई में आज भी टमाटर की कीमतें सातवें आसमान पर हैं

किसान मुरली ने महज 45 दिन में ही 2 करोड़ रुपये की आय कर डाली

दरअसल, इतनी मोटी आमदनी करने के लिए मुरली को भी काफी ज्यादा परिश्रम करना पड़ा। उन्हें टमाटर बेचने के लिए प्रतिदिन 130 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करनी पड़ी। वे टमाटर बेचने के लिए कोलार जाते थे, जिससे कि अच्छी कीमत मिल सके। विशेष बात यह है, कि 1.5 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाने के पश्चात मुरली केवल 45 दिन में ही 2 करोड़ रुपये की आमदनी करने में कामयाब रहे।

किसान मुरली टमाटर का रकबा बढ़ाने के लिए जमीन खरीदने की भी योजना बना रहे हैं

बतादें कि इस मुनाफे से मुरली काफी ज्यादा प्रसन्न नजर आ रहे हैं। फिलहाल वे और ज्यादा क्षेत्रफल में टमाटर की खेती करने की योजना बना रहे हैं। अब वे वैज्ञानिक तकनीक को अपनाते हुए बागवानी विधि से टमाटर का उत्पादन करना चाहते हैं, जिससे कि वह और अच्छी पैदावार ले सके। विशेष बात यह है, कि मुरली ज्यादा रकबे में खेती करने के लिए गांव में ही और जमीन खरीदने की योजना बना रहे हैं।
NCR में इस वजह से टमाटर के दाम फिर से बढ़े, मांग की तुलना में सप्लाई मात्र 15 प्रतिशत है

NCR में इस वजह से टमाटर के दाम फिर से बढ़े, मांग की तुलना में सप्लाई मात्र 15 प्रतिशत है

आजादपुर टमाटर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कौशिक का कहना है, कि दिल्ली में पिछले तीन दिनों में टमाटर की मांग की तुलना में आपूर्ति काफी गिर गई है। मूसलाधार बारिश की वजह से टमाटर उत्पादक राज्यों में फसल क्षतिग्रस्त हो गई है। संपूर्ण भारत में महंगाई से हड़कंप मच गया है। करेला, लौकी, शिमला मिर्च, परवल और भिंडी समेत तकरीबन समस्त प्रकार की हरी सब्जियां महंगी हो गई हैं। परंतु, टमाटर का भाव सबको परेशान कर रहा है। आज भी भारत के विभिन्न राज्यों में टमाटर 120 से 150 रुपये किलो बिक रहा है। परंतु, देश की राजधानी दिल्ली में टमाटर सबसे ज्यादा महंगा है। यहां पर बुधवार को विभिन्न स्थानों पर 259 रुपये किलो टमाटर बेचा गया।

यह कीमतों में उछाल की मुख्य वजह है

हालांकि, एक सप्ताह पूर्व दिल्ली में टमाटर की कीमतों में कुछ हद तक कमी देखने को मिली थी। राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न बाजारों में टमाटर 120 से 150 रुपये किलो पहुँच गया था। परंतु, मंगलवार से एक बार पुनः कीमतें बढ़ने लगीं है। अब ऐसी स्थिति में लोगों को लग रहा है, कि अन्य राज्यों की तुलना में दिल्ली में ही टमाटर इतना महंगा क्यों है। आखिर कीमतों में गिरावट आने के पश्चात पुनः बढ़ोत्तरी क्यों हुई है। इन सवालों के साथ दिल्ली वासी महंगाई को लेकर काफी चिंता में हैं। परंतु, उनको टेंशन लेने की आवश्यकता नहीं है। कीमतों में तेजी से उछाल की असली वजह सामने आ गई है।

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जानें दिल्ली में कितने ट्रक टमाटर की आवक हुई है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि टमाटर उत्पादक राज्यों में बारिश के चलते टमाटर का उत्पादन काफी प्रभावित हुआ है। इससे दिल्ली में मांग के अनुसार, टमाटर की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। दिल्ली की आजादपुर मंडी में बुधवार को केवल 6 ट्रक ही टमाटर की आवक हुई, जो कि इसकी मांग का 15 प्रतिशत ही है। इसका अर्थ यह है, कि दिल्ली में आज भी 85 फीसद टमाटर की सप्लाई प्रभावित है। ऐसी स्थिति में मार्केट में टमाटर की उपलब्धता कम होने से कीमतों में वृद्धि हो रही है। वर्तमान में दिल्ली के अंदर कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से टमाटर की आपूर्ति हो रही है। ऐसी स्थिति में माल ढ़लाई का खर्चा भी बढ़ रहा है।

मदर डेयरी की सफल रिटेल दुकानों में 259 रुपये किलो टमाटर बेचा गया

साथ ही, आजादपुर टमाटर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कौशिक का कहना है, कि दिल्ली में पिछले तीन दिनों में टमाटर की आवक कम हो गई है। भारी बारिश की वजह से टमाटर उत्पादक राज्यों में फसल बर्बाद हो गई है। उन्होंने बताया कि आजादपुर मंडी में बुधवार को टमाटर की केवल 15 प्रतिशत ही आपूर्ति हो पाई है। यही कारण है, कि दिल्ली में टमाटर की कीमतों में एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगी हैं। साथ ही, मदर डेयरी ने बुधवार अपनी सफल रिटेल दुकानों में 259 रुपये किलो टमाटर बेचा है।